2022 में होने वाला है फीफा विश्वकप। इस बार इसकी मेजबानी कर रहा है कतर।
कतर इस विश्वकप को बेहद भव्य बनाना चाहता है और इसके लिए वहां बनाई जा रही
हैं बहुमंजिला इमारतें, शानदार स्टेडियम, चमचमाती सड़कें और सैंकडों होटल।
लेकिन इस चमक-दमक के पीछे भी एक सच्चाई है, एक ऐसी सच्चाई जो स्याह है और
बेहद डरा देने वाली भी।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत, नेपाल और बांग्लादेश से लाए गए मजदूर कतर में बेहद खतरनाक और खराब हालातों में दिन-रात काम कर रहे हैं। काफी मजदूर अभी तक मर चुके हैं और बाकी या तो बीमार हैं या फिर मानसिक अवसाद के शिकार।
2010 में कतर को फीफा की मेजबानी मिली थी और 2011 से यहां पर निर्माण का काम शुरु हो गया था। भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ने राज्यसभा में उठाए गए एक सवाल के जवाब में कहा कि 2011 से मई 2015 के बीच 1093 भारतीयों ने वहां (कतर में) अपनी जांन गंवा दी।
विदेशी मीडिया में चल रही खबरों पर यदि भरोसा किया जाए तो साल 2013 में करीब 5.8 लाख भारतीय कतर में थे।
सोशल मीडिया में भी इस बात की काफी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि फीफा की चमक के पीछे मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचार की कहानी है। #Qatar जैसे ही आप फेसबुक पर डालेंगे वैसे ही तमाम कहाानियां आपकी आखों के सामने होंगी।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारत, नेपाल और बांग्लादेश से लाए गए मजदूर कतर में बेहद खतरनाक और खराब हालातों में दिन-रात काम कर रहे हैं। काफी मजदूर अभी तक मर चुके हैं और बाकी या तो बीमार हैं या फिर मानसिक अवसाद के शिकार।
2010 में कतर को फीफा की मेजबानी मिली थी और 2011 से यहां पर निर्माण का काम शुरु हो गया था। भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स ने राज्यसभा में उठाए गए एक सवाल के जवाब में कहा कि 2011 से मई 2015 के बीच 1093 भारतीयों ने वहां (कतर में) अपनी जांन गंवा दी।
विदेशी मीडिया में चल रही खबरों पर यदि भरोसा किया जाए तो साल 2013 में करीब 5.8 लाख भारतीय कतर में थे।
सोशल मीडिया में भी इस बात की काफी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि फीफा की चमक के पीछे मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचार की कहानी है। #Qatar जैसे ही आप फेसबुक पर डालेंगे वैसे ही तमाम कहाानियां आपकी आखों के सामने होंगी।